"You have your way. I have my way. As for the right way, the correct way, and the only way, it does not exist."
Friedrich Nietzsche

Sunday, March 31, 2019

मुझे बताया नहीं गया
मुझे पता चला
बहुत धीरे-धीरे
बहुत देर से
कि मैं अकेला नहीं हूँ!

मैं लिखता रहा रात भर
बुरी खबरें
और सुबह नहाते वक़्त
खुद को तैयार करता रहा
किसी एक खबर के लिए,
फिर देर रात खुश होता रहा
कि सब खबरें झूठी थी!
सफर पर निकलते वक़्त
तय करता रहा दुर्घटना का समय,
शरीर के हर इशारे को
दिया सबसे भयंकर नाम,
सोचता रहा
कौन रोयेगा मेरा मातम और कैसे?
और ऐसे नाटक लिखता रहा
जिसमें धड़कने आँसुओ हार जाती हैं।

मैंने लगाए सबसे दुःखद कयास,
जब घर पर किसी ने फोन न उठाया,
और खुश होते वक़्त डर के मारे
बड़ी सावधानी रखी
कि दुःखी होना न भूल जाऊ।
कोई खूबसूरत चीज, चेहरा, पल
नहीं लिया दोनों हाँथो में एक साथ,
और सबसे अच्छी तस्वीरों को
बचाता रहा खुद से,
जैसे आने से पहले ही ख़त्म
हो जाएगा सब कुछ,
इसलिए मेरे सबसे
उम्मीद भरे सपनो ने
परेशान किया सारी रात।

मैंने मदद माँगी
तो मुझसे कहा गया
की मैं गढ्ढे में गिरा हुआ हूँ,
मुझे बाहर आना चाहिए
जहाँ बड़ी रोशनी है,
ये सुनकर
मैंने इंतज़ार किया
मगर कोई सीढ़ी, कोई रस्सी
नहीँ आयी,
क्योकि सारी आवाज़े तो
वहीं साथ बैठी थीं।

मैंने दीवार पर लिख रखा था कि
'एक दिन मरेंगे हम सब, लेकिन
उससे पहले हर दिन जिएंगे'
और मैं इंतज़ार में ही रह गया
की कोई मुझे छूकर
यकीन दिलाये ये सब।

अधखुली आंखों से देखता हूँ,
मैं एक भीड़ में हूँ,
भीड़ घुप्प अंधेरे में है,
सब अकेले हैं,
इतने चिपके हुए हैं की
जगह ही नहीं
एक दूसरे को छूने की,
सबके पास वही मरहम है,
सबके पास वही इंतज़ार है,
ऊपर से आने वाली
किसी सीढ़ी का, किसी रस्सी का,
किसी रोशनी का !

- विवेक (31.03.19)

Friday, March 22, 2019

परदेसी हो,
तो ध्यान रखना.
घर जाके
अपना सामान मत फैला देना
चारो तरफ,
अपने आने की खबर की तरह.

घर की जमीन
बड़ी उपजाऊ होती है.
दो दिन में ही हर चीज
जड़ जमा लेती है,
उग आते है
छोटी-छोटी पत्तियां और फूल.
फिर लौटते वक़्त
आसान नहीं होता
उजाड़ना ये बागीचा,
और घर हाथ पकड़ कर रोकता है
हर पौधे को.

हाथ छुड़ा कर
वापस लौटने का ये अफ़सोस,
परत दर परत इकठ्ठा हो रहा है,

इतनी परतों के नीचे
कितनी सांसे ले पाओगे?

- विवेक (22.03.19)

Monday, March 11, 2019