"You have your way. I have my way. As for the right way, the correct way, and the only way, it does not exist."
Friedrich Nietzsche

Tuesday, August 22, 2017

ज़िन्दगी कुछ कह रही थी


एक दिन जब रात की छत टिमटिमा कर गा रही थी.
चाँद की हल्की सी आहट बादलों से आ रही थी.
गुनगुनाती याद उसकी चांदनी पर बह रही थी.
उस घड़ी उस वक़्त शायद ज़िन्दगी कुछ कह रही थी.

एक दिन जब मेरा कमरा सिर्फ मुझको सुन रहा था.
एक झरोखा कोई सपना धूप के संग बुन रहा था.
दो परिंदों की ठिठोली खिडकियों पे रह रही थी.
उस घड़ी उस वक़्त शायद ज़िन्दगी कुछ कह रही थी.

एक दिन जब चार आँखे एक आंसू रो रहीं थी.
खूबसूरत थी उदासी मुस्कुराहट सो रही थी.
रौशनी की हर ईमारत जब क्षितिज पर ढह रही थी.
उस घड़ी उस वक़्त शायद ज़िन्दगी कुछ कह रही थी.

- विवेक (२००१)

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