आखिरी पन्ने पे जाके मिला है पहला सबक,
ख्वाहिशे बोने पे अफ़सोस के फूल आते हैं.
घर पे वापस बुला ले कोई इसलिए हर बार,
अपनी कोई चीज़ रख देते हैं, भूल आते हैं.
शहर में आना ही इक जुर्म है इतना गहरा,
कोई गुनाह करे, हम क़ुबूल आते हैं.
रहनुमाओं से सबक सोच-समझ के लेना,
एक ही रंग में साजिश और उसूल आते हैं.
- विवेक
१३.०८.२०१७
Whao.
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