"You have your way. I have my way. As for the right way, the correct way, and the only way, it does not exist."
Friedrich Nietzsche

Thursday, June 10, 2010

दिनचर्या (धूमिल की कविता )

सुबह जब अंधकार कहीं नहीं होगा,
हम बुझी हुई बत्तियों को
इकट्ठा करेंगे और
आपस में बांट लेंगे.

दुपहर जब कहीं बर्फ नहीं होगी
और न झड़ती हुई पत्तियाँ
आकाश नीला और स्वच्छ होगा
नगर क्रेन के पट्टे में झूलता हुआ
हम मोड़ पर मिलेंगे और
एक दूसरे से ईर्ष्या करेंगे.

रात जब युद्ध एक गीत पंक्ति की तरह
प्रिय होगा हम वायलिन को
रोते हुए सुनेंगे
अपने टूटे संबंधों पर सोचेंगे
दुःखी होंगे.

1 comment:

  1. u reminded of my hindi school teacher,she was a great poetess and a great reader and i was one of her listeners..i wonder why words are so magical!

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