Sunday, November 21, 2010

जरा सी याद

कुछ लोगो के चले जाने का दुःख होता है,
लेकिन उससे जादा दुःख होता है तब ...
जब दुखी होने बैठता हूँ
और वो ठीक से याद नहीं आते !
भूल जाती है चेहरे की कोई खास लकीर,
और टुकडो में मिलता है पूरा शरीर,
वो एहसास भटकता है
जो उनको छू कर हुआ करता था,
फिर दुःख होता है,
लेकिन इस दुःख से भी मन नहीं भरता,
खुद पर,
खुद की बेपवाही पर गुस्सा आता हैं,
जाने कहाँ गिरा दी मैंने
वो जरा सी याद,
जो प्यार से रुला कर चली जाया करती थी,
दुःख तो आज भी होता है,
लेकिन उससे जादा दुःख होता है तब...
जब किसी पुरानी तस्वीर के साथ,
बड़ी मुश्किल से समय निकाल कर
मैं दुखी होने बैठता हूँ,
और वो ठीक से याद नहीं आते !

4 comments:

  1. I felt as if its written for me......I am going through exactly with the phase, which you tried to potrait....Thanks Vivek!!!! If u permit, can i share this link at my facebook profile?

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  2. बहुत खूब विवेक,.. यह दरअसल स्मृतियों के मामले में एक नए पक्ष का उद्घाटन है, जिसमें एक इंतजार के बाद आए उन कीमती क्षणों में भी हम अनजाने तरीके से लापरवाह रह जाते हैं... अच्छा लगा...

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  3. Beautiful sir .... so plz keep in touch through fb
    cauz u never wanna forget a good person n human

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