"You have your way. I have my way. As for the right way, the correct way, and the only way, it does not exist."
Friedrich Nietzsche

Thursday, August 5, 2010

दाता की क्या जात ???

पिछले शनिवार एक अजीब और मजेदार अनुभव हुआ,
कनाट प्लेस पर रात के ९ बजे मैं ऑटो की राह देख रहा था की तभी एक बूढी माँ मेरे पास आई और बोली, “ बेटा तुम करोड़पति हो कुछ पैसे दे दो खाने को , भूख लगी है”
समाज कार्य का ये भी एक उसूल है की जहा तक हो पैसे की मदद करने से बचना चाहिए लेकिन ५ मिनट पहले मुहे बड़ी जोरो की भूख लगी थी और बड़ी मुश्किल से सस्ता रेस्तौरां खोज कर मैं खाना खा के आया था तो मुझे लगा की मैं अगर आज २० रूपये दे दू तो कोई बड़ा अपराध नहीं है.

लेकिन आदतानुसार पैसे देने के पहले मैंने उस बूढी माँ से और भी बाते की.
“कहा से आई हो?”
“करोल बाग से”
“क्यों?”
“मेरे घुटने में दर्द है यह सुचेता कृपलानी हॉस्पिटल में फ्री में इलाज होता है”
“वापस कैसे जाओगी?”
“बस से”
“किराया?”
“बस वाला नहीं लेता”
“कुछ काम-धाम क्यों नहीं करती पैसे मांगने के बदले.”
“बर्तन साफ़ करती थी मगर वह पैसे नहीं देते थे”
“घर में कौन कौन है “
“कोई नहीं, पंडित जी मर गए और कोई बच्चा नहीं है”
“कितने दिन से मांग के खा रही हो?”
“सात साल से”
“आगे कैसे चलेगा काम ?”
“इसी तरह मांग के “
“जब शरीर इस लायक नहीं होगा की मांगने आ सको सड़क तक ...फिर क्या करोगी?”
“मर जाउंगी महक कर और क्या”
“अच्छा एक बात बताओ अम्मा”
“बेटा तुम करोड़पति हो पैसे दे दो”
“अम्मा मैं करोडपति नहीं हू, लेकिन पैसे दे दूँगा एक और बात का जवाब दो”
“बेटा पैसे दो नहीं तो मैं जाऊ दूसरे के पास मांगने?”
“अरे मैंने बोला है तो मैं दूँगा परेशां मत हो.....तुम मुझे ये बताओ अम्मा की आज तक कभी किसी भी संस्था ने तुम्हारी मदद करने की कोशिश नहीं की? वह जहा बूढ़े लोग साथ रहते है? इतने सालो में कोई तो आया होगा मदद करने, सरकार ने कई सेंटर खोले है लोगो की मदद करने के लिए वह क्यों नहीं गयी ?”
“हा पता है, लेकिन वहा नहीं रहूंगी मैं”
“क्यों किसी ने तुम्हारी मदद करने की कोशिश नहीं की ? या वह अच्छा व्यवहार नहीं करते ?”
“नहीं ऐसी बात नहीं है, कई बार लोगो ने मुझे रखने की कोशिश की मगर वहा नहीं रह सकती मैं”
“क्यों नहीं रह सकती?
“वह सब चमार सियार साथ में रहते है”
“मतलब??”
“अरे मैं पंडित हू ना, कैसे रह सकती हू मैं किसी चमार के साथ”यहाँ थोड़ी देर के लिए संभालना पड़ा पाने आप को इस बात को पचाने के लिए. इसके बाद मैंने अम्मा से पूछा,
“अच्छा तो आप पंडित हैं और वह सब जात के लोग एक साथ रहते है तो इसलिए आप उनके साथ नहीं रह सकती”
“हाँ”
“धर्म खत्म हो जायेगा?”
“हाँ , बेटा तुम पैसे दोगे की नहीं?”
“मैं तो दूँगा लेकिन अगर एक चमार पैसे देगा तो आप लेंगी?”
“ बिलकुल नहीं?”
“ओह ....लेकिन मैं भी तो एक चमार हू अम्मा...अब मैं कैसे दू पैसे आपको, आपका धर्म खतम हो जायेगा”
“नहीं तुम चमार नहीं हो .”
“ अब चाहे मानो या न मानो..,,मैं चमार ही हू. आपको मुझसे पैसे नहीं लेने चाहिए”
“हम तो देख के पहचान लेते है, तुम चमार नहीं हो”
“पैसे लेने है तो ले लो अम्मा लेकिन इतना जान लो की एक चमार के हाथो से पैसे ले रही हो तुम्हारा धर्म खत्म हो जायेगा”

इतना सुनने के बाद बूढी अम्मा ने मेरे हाथ से दस रु. का नोट खीच लिया और चल पड़ी...लेकिन चलते चलते बोली,
“मुझे पता है तुम चमार नहीं हो......तुम पंडित हो”

4 comments:

  1. I am speechless after reading this........Its a very easy going conversation for the people who are reading this but believe me this conversation is deeply rooted in our society....I am a brahmin, i am quite shameful to say this but I used to have such conversations with my grandmother.....I don't know how these things will eradicate from our society....

    Thanks for posting this Vivek........coz I tried to write many things related to this but ultimately never potrait it in the way I always wanted....

    Lets make a step against all this.......

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  2. Thank you Aparna,
    Do be shameful for being whatever you are from your birth but you should be proud of yourself that you are a free soul now and you have got the courage to accept. Only you can change..otherwise i have seen people who talk against but never dare to take a step against it.
    Many teachers in my BHU social work department were strong supporter of castism...i was shocked to see that..but it is the reality of our so called educated mass.

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  3. This comment has been removed by the author.

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  4. Vivek sir,
    it is seriously great
    u write so gud and so true
    and ol these experiences in life
    make us realise that there is so much to change..
    awesome..

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