तुम्हारे बच्चे भूखे थे,
और उन्हें यक़ीन था
तुम पर,
लेकिन जब तुम
उनके पैसों से,
रोटी की जगह,
अपने ख़ुदा के लिए
फूल खरीद लाये,
तब उन मासूमों ने आँखों से
जो भीगें हुए सवाल दागे,
उससे बहुत बड़ी दरारें पड़ गयीं
तुम्हारे मंदिरों में,
देखो उन दरारों को,
देर मत करो,
शायद उनमें अब भी
इतनी जगह हो,
कि तुम्हारी आत्मा निकल सके बाहर,
और आज़ाद हो जाये !!!
- विवेक (26.11.18)