Sunday, August 8, 2010

मुल्ला नसीरुद्दीन


मुल्ला नसीरुद्दीन का नाम मैंने ओशो की कहानियो में सुना था और बहुत मजे लेके पढता था. लेकिन कभी मिला नहीं था. कुछ दिन पहले मुझे वाराणसी से १७ किलोमीटर दूर एक गांव में मुल्ला जी मिले और ये कही से कम दिलचस्प नहीं थे.
ये तस्वीर मैंने ही खीची और ये बता सकता हू की इन चार लोगो में से सबसे अमीर ये जमीन पे बैठे मुल्ला जी है. ये जमीन इन्ही की है और अभी कुछ दिन पहले करीब २० - २२ लाख नगद लेके इन्होने अपनी एक जमीन का सौदा किया है. जब इनसे मिला तो यकीं नहीं हुआ..तब ये मुह में ५०२ पताका बीडी लेके खेत में इसी रूप में काम कर रहे थे.
मुल्ला जी के पास ऐसे ८ पैक्स मसल्स है की गजिनी भी हथियार डाल दे. बात करते हुए एक मिनट में दो कहानिया और तीन मुहावरे पढ़ देते है, गजब के दार्शनिक भी है. अफ़सोस इनसे जादा देर बात नहीं हो पाई क्योकि इनका एक जिद्दी मुर्गा भी है जो इनकी बहु के ऊपर हमला कर रहा था और जब मुल्ला जी डंडा लेके उसके पीछे भागे तब जाके माना.
मुल्ला जी के पोते से भी मिला..४ साल का प्यारा बच्चा बकरियों के साथ खेल रहा था. उसका नाम पूछा तो पास खड़े एक लड़के ने कहा,"साईकिल"
मैंने कहा, 'ये कैसा नाम है किसने रखा?"
"इसके अब्बा ने, वो जो खेत में काम कर रहे है"
"उनका नाम क्या है? मोटर-साईकिल?"
'नहीं, उनका नाम तो अहमद है"
बात मेरी समझ में नहीं आई तो जाते जाते मुल्ला नसीरुद्दीन से मैंने पूछ ही लिया,
"ये इस प्यारे से बच्चे का नाम साईकिल किसने रख दिया?"
इतने पर मुल्ला जी यो भड़के की पूछो नहीं,
"किस हरामजादे ने बताया आपको इसका नाम?"
मैंने उस बड़े लड़के की तरफ इशारा करना चाहा लेकिन वो पहले ही भाग चूका था.
डरते डरते मैंने कहा, "जी मैंने तो बच्चे से भी पूछा था, वो भी यही नाम बता रहा था."
इसपर मुल्ला जी थोडा नरम होके बोले,
"इसका नाम शकील है, शकील अहमद !!! ये साले गाव के लड़के मजाक में नाम बिगाड़ते है."

तो मैं इस तरह सस्ते में ही छूट गया,
उम्मीद है मुल्ला नसीरुद्दीन से फिर मुलाकात होगी !!

2 comments:

  1. bhai jaan, achha likha hai aur khas baat ki bacho ke sath aapka lagav (bahut pyara hai) yaha bhi dikh raha hai..

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