Saturday, April 27, 2019

किसी भी किताब का ज़िन्दगी में आना,
एक पुराने दोस्त का वापस मिलना है,
वो जानता है मेरे घर में
कौन से रस्ते से ताज़ा हवा आ सकती है,
और कौन से रस्ते से धूप !

- विवेक (27.04.19)

Wednesday, April 24, 2019

ताज़्ज़ुब है,
इतना वक़्त मैंने
खुद को सही साबित करने में क्यो लिया,
जबकी बीच बहस छोड़ कर
मैं दोपहर की नींद ले सकता था !

बहुत उदास हूँ
ये सोचकर भी,
की इतनी स्याही
नसीहतों को रंगने में क्यो खर्च की,
जबकी उससे
लिख सकता था खूबसूरत कवितायें
दुनिया के हर बच्चे के लिए !

इसलिये,
मैं अब हर दोपहर
सोना चाहता हूँ,
हर रात
लिखना चाहता हूँ !

- विवेक (24.04.19)